Blog:Reset Mode

“रिसेट मोड”

लेख का शीर्षक पढकर चौंक गए ना? जैसे कोई electronic device का तंत्र बिगड़ने पर उसे हम factory reset mode में लाकर ठीक करते है, ठीक उसी तरह हम Mother Nature, पृथ्वी यानि प्रकृति को एक device मानकर लेख को आगे बढ़ाते है.

आज से करीब साढ़े 4 अरब साल (4.5 billion years) पहले, चट्टान का एक विशाल गोला बेनाम तारे के चक्कर लगा रहा था, जिसकी सतह पिघले हुए लावा से बनी थी और जिस पर जीवो का कोई नामो निशान नहीं था. कई लाखो साल बाद इस गोले ने ग्रह का रूप लिया जिसे हम आज पृथ्वी के नाम से जानते है. कई लाखो वर्षों तक यह गोला (जिसकी सतह अत्यधिक गर्म थी) धीरे धीरे ठंडा हो रहा था. करीब 3.9 अरब साल पहले कई उल्कापिंड (meteorites) इस गोले से टकराए जिसे हम “The late heavy bombardment” के नाम से जानते है. इसकी वजह से पृथ्वी पर समुद्र का निर्माण हुआ. साथ ही Nitrogen गैस भी atmosphere में आयी. करीब 3.8 अरब साल पहले उल्कापात से पृथ्वी पर खनिज, Organic Acids जैसे अनमोल घटक समुद्र की गहराइयों तक पहुंच गए. यहां पृथ्वी के पहले जीवन की उत्पत्ति हुई. समुद्र की गहराई में जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंच सकती थी, वहां single cell micro-organism Bacteria ने जन्म लिया.

इन bacteria की संख्या इतनी बढ़ गई कि ये आपस में जुड़ कर solid चट्टानों में बदलने लगे जिन्हें हम stromatolites के रूप में जानते है. सूरज की रोशनी के कारण इन bacteria ने चट्टानों को bio-synthesis द्वारा reactions में परिवर्तित कर दिया जिसने Oxygen gas को जन्म दिया. करीब 75 करोड़ साल पहले पृथ्वी के surface plates में परिवर्तन के कारण कई चट्टानें आपस में जुड़ी, तो कई जगह लावा के उफ़ान से carbon-dioxide की उत्पत्ति हुई जो सूरज की harmful UV rays से बचाव में सक्षम थी. Unicellular bacteria ने अब तक कई और species को बनाया जो functionally diversified थे और जिनके कारण कई प्रजातियों का निर्माण शुरू हो चुका था. करीब 1.5 करोड़ साल तक जमीन पर काफी जीवन विकसित हो चुका था जिन्हें tetrapods कहा जाता है. आगे चलकर इनमे से कुछ डायनोसोर में परिवर्तित हो गए, जिन्होंने पृथ्वी पर 11 करोड़ साल तक राज किया. जो एक चट्टान के पृथ्वी से टकराने की वजह से पूरी तरह विलुप्त हो गए. लेकिन इस महाप्रलय के दौरान भी mammals एक ऐसी प्रजाति थी जिसने जमीन के अंदर बचने की कला सीख ली थी. यहां से पृथ्वी पर एक नए युग की शुरुआत हुई. आज से करीब 30 लाख साल पहले अफ्रीका में हुए ज्वालामुखी विस्फोट और विषम परिस्थितियों के चलते वहां रहने वाले homo-sapiens प्रजाति (जिनसे मनुष्य का जन्म हुआ) पृथ्वी के कोने कोने में फैल गए. एक लाख साल पहले मनुष्य प्रजाति का विकास शुरू हुआ. मनुष्य की कुशाग्र बुद्धि और असाधारण प्रतिभा से पृथ्वी पर अनेक आविष्कारों का प्रारंभ हुआ.

कई अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी जिस पर मनुष्य प्रजाति केवल एक लाख वर्ष पहले पैदा हुई थी. आज मानव प्रजाति अपने इतिहास के सबसे विनाशकारी समय कोरोना महामारी के रूप में जूझ रही है. जिस पृथ्वी को कई अरबों सालो तक unicellular bacteria और असंख्य तत्वों ने मेहनत से जीवन योग्य बनाया. ऐसी पृथ्वी को मनुष्य ने इच्छापूर्ति, स्वार्थ और अहंकार के चलते अपना शक्तिप्रयोग का जरिया बना लिया. उसे लगा अब वो सब कुछ कर सकता है. बेजुबान, निरीह जानवरों को मार कर खाना जैसे उसका हक हो. अरबों वर्षों तक उल्काओ ने बनाए खनिज संपदा, पानी, हवा को मनुष्य ने अपनी जागीर समझकर दुरुपयोग करना शुरू कर दिया. एक दूसरे को धर्मो में बांट कर अपने मन मुताबिक पृथ्वी पर राज करने के सपने देखने लगा. ईश्वर द्वारा दिए इस जीवन को उपयोगी बनाने के बजाए नफ़रत, ईर्ष्या, लोभ और अहंकार से पृथ्वी को कूड़े में बदलने लगा. अरबों वर्षों की मेहनत को नष्ट करने पर उतारू हो गया. और फिर वही हुआ जो एक electronic device बिगड़ जाने पर करते है, “रिसेट मोड”.

वर्तमान समय महाविनाशकारी तो है ही. साथ ही मनुष्य प्रजाति को प्रकृति से बड़ा सबक है कि तुम्हे मैंने बनाया है और मैं तुम्हे मिटा भी सकती हूं. मनुष्य का जन्म एक ख़ास वजह से हुआ हैं. जो बुद्धिमत्ता मैंने तुम्हे दी है वो अंतरिक्ष के किसी प्राणी में नहीं हैं. इसे सही कामो में लगाओ वरना “रिसेट मोड” तो कभी भी ON हो सकता है. अभी भी देर नहीं हुई है. जो काम अरबों साल पहले bacteria, उल्का और असंख्य घटको ने बखूबी किया, वैसे ही मनुष्य को दिए गए काम वो ईमानदारी से निभाए, जैसे

1. अहंकार त्यागे. बिना प्रकृति के सहयोग से मनुष्य अकेला कुछ नहीं कर सकता. हमेशा कृतज्ञ रहे.

2. Science के माध्यम से प्रकृति के अनगिनत नियमों को जाने. Maths, Physics, Chemistry हमें इन नियमो से अवगत कराते है. प्रकृति अनेक नियमबद्ध तरीको से चल रही है. मनुष्य सिर्फ वो नियम जान सकता है. नया कुछ नहीं बना सकता. (Prof. H.C. Verma IIT Kanpur)

3. Science और अन्य भाषाओं के माध्यम से प्रकृति के नियम और कार्य प्रणाली अधिक से अधिक लोगों तक सरल तरीको से पहुंचाए. जितना हम प्रकृति के करीब जाएंगे, यकीन मानिए आपके सुख में दुगुनी गति से वृद्धि होगी.

4. नियंत्रित संसाधनों का व्यय करे. आज हम घरों में बंद रहकर भी आराम से जीवन यापन कर सकते है. तो फिजूलखर्ची क्यों?

5. बच्चो को अच्छे संस्कार दे. उनकी जिज्ञासाओं का उचित समाधान करे. बच्चे प्रकृति के सबसे चहेते है. उन्हें खुश रखना, मनुष्य का सबसे बड़ा फ़र्ज़ है.

6. एक दूसरे के प्रति आत्मीयता और सम्मान रखे. जितना सम्मान दूसरों को देंगे, उससे ज्यादा लौट कर वापस मिलेगा. लोगो के अच्छे कामों की खुलकर प्रशंसा करे. प्रकृति ने मनुष्य को सबसे संवेदनशील जीव बनाया है. जितना हम एक दूसरे को प्रसन्न रखने की कोशिश करेंगे, प्रकृति हमें खुश रखेगी.

7. कुछ नया सीखते रहिए और दूसरों को भी सिखाइए. हम जो कुछ भी अच्छा सीखते है वह प्रकृति में पहले से ही मौजूद है. दूसरों तक उसे पहुंचाना याने प्रकृति का मनुष्य को दिया फर्ज़ निभाना है.

8. दूसरों से अपनी तुलना ना करे. अगर गाय इस बात से दुखी रहेगी की वो पेड़ पर चढ़ने की प्रतियोगिता में आखिरी नंबर पर है तो क्या ये ठीक होगा? नहीं. ठीक उसी तरह प्रकृति ने प्रत्येक मनुष्य को विशिष्ट प्रतिभाएं दी है. हमें उसे पहचान कर सही उपयोग में लाना चाहिए.

9. जीवन की अनावश्यक जरूरतें कम करे. अपव्यय और अनावश्यक संचन से बचें. हमें जितना जरूरी है प्रकृति ने सब दिया है. दूसरों का हक छीनकर, उनके हिस्से के संसाधनों का व्यय प्रकृति के नियमो के विरुद्ध है. अन्य प्राणी, जितना चाहिए उतना ही शिकार करते है. ये बात सीखने लायक है.

हमें याद रखना होगा कि मनुष्य को प्रकृति की जरुरत है, प्रकृति को मनुष्य की नहीं. जिस प्रकृति को bacteria, अनेक उल्कापिंडों और असंख्य घटकों ने अरबों वर्षों तक ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बनाया, उसे बेहद कम समय में मनुष्य ने विनाश की तरफ धकेला है. जब जब मनुष्य अपनी सीमाएं तोड़ प्रकृति के विरुद्ध दिशा में जाने का प्रयास करेगा, तब तब कोरोना रूपी विनाशकारी आपदा उसे ये याद दिलाती रहेगी कि इस ब्रम्हांड का राजा कौन है और कौन गुलाम. और केवल एक बटन दबाना है जिससे ये प्रकृति फिर से स्वच्छ हवा में सांस ले सके, प्राणी चहक उठे, हवा, पानी, खनिज और अनेक घटक फिर से नई सृष्टि का निर्माण कर सके. जो सदियों से चली आ रही है, निरंतर बिना रुके. बस एक बटन ही तो दबाना है प्रकृति को, “रिसेट मोड” का…..

Anand Patwardhan

56 Comments on “Blog:Reset Mode

  1. Wow. Beautifully written blog and great insight into real meaning of human life. Thanks for enlightening.

    • Very well explained An and!!! Keep it up!!! It’s high time now that we should adopt minimalistic lifestyle and give back to nature more than we consume.

  2. Well said anand ,mother. Nature autonomous body is complete in itself its the human who need to understand the law of nature

  3. Very well described Anand. It also mention that human has no right to kill.animals for its hunger so tay Vegan or vegetarian.

    • Kudos Anand. Insightful and a great effort to convey the actionables with an apt title. However, devices also have upgraded software versions, so till the time, right versions of upgrades are brought in (essentially the points which you have suggested here), full reset mode may not be required too. Keep writing and sharing.

  4. Great
    Briefly explain and very well connect nature with science and life. Beautiful explain value of Nature in our life. Definitely we should think and not cross our limits, otherwise the nature has no limits Nature can go up-to any extend.

    Good keep it up 👌👌👌

  5. Very nicely written article Anand. Explained the power of mother nature in simple words with a very strong and clear message not to play around against the rules of nature. Keep writing

  6. That was really an eye opener for all humans who have been so busy in their lives that they have forgotten who has made them and they are knowingly or unknowingly crushing it…Really proud of you baba!

  7. Very well written Anand sir , true as you are saying earth/ nature is on reset mode we must learn our lesions from this epidemic of corona and start chaging our habits and respect nature for good future ahead

  8. वाह वाह आनंद खूप छान विचार शक्ति आणि त्याची इतकी सुंदर प्रस्तुती अगदी स्तुती करण्या योग्य आहे खूप खूप अभिनंदन👌👌👌👏🏽👏🏽💐👍👍

  9. 👌🏻👌🏻👍🏻
    Nature me vo shakti hai ki vo khud ko balance karta rahta hai.. aur usme hamara balance bigad jata hai..😃

    Mujhe lagta hai ki lockdown ki stithi me sabko ye baat samajh me aa gayee hogi..

    Aur jo na samjhe ..vo anadi hain😃

  10. 👏👏 फारच छान लिहिल आहे , प्रत्येक point अगदी खरा आहे , keep writing , take care

  11. Nice write-up Anand…good n informative 👍👍 and most importantly very realistic looking into the current situation.,🤟

  12. Anand , Absolutely bang on the reality and facts of life. Sooner we understand and adopt it’s better for us .

  13. We humans, keep ignoring alerts send by mother nature! Always.
    Keep polluting nature for our greed and very own purpose. It’s time to awake and act quickly.

  14. Very Precise and simplified explanation of the fundamental truth about our existence.
    Very insightful.

  15. Anand dada, Aaj tujha blog vachala ani realize jhala ki apan daily routine madhe busy haun kiti tari goshtin kade durlaksha karat asto. Nisarg je aaplyala evade sagle deto tyana japana pan aaplich duty ahe.

    Blog khoop chan lihile ahe. Proud of you !
    Khoop divsani itki shudha Hindi vachun khoop Barr vatala.

  16. Kudos Anand. Insightful and a great effort to convey the actionables with an apt title. However, devices also have upgraded software versions, so till the time, right versions of upgrades are brought in (essentially the points which you have suggested here), full reset mode may not be required too. Keep writing and sharing.

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